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हर दिन जैसा आज

"शब्दों के संसार मे
"शब्दों के संसार मे
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आज

जिंदगी फिर से
सवालों के घेरे में
और
रिश्तें सभी
स्वार्थों के फेरे  में
और
इन्द्रधनुषी आसमाँ पर
उठता काला बादल
और
चेहरे पर मुखौटा लगाये
घूमते शहर के लोग
और
दुर्घटना में मरा कोई
तडपकर बिना इलाज
और
फिर जली एक दुल्हन
दहेज की चिता पर
और
लौटाया गया बेरोजगार
दफ्तर के दरवाजों से
और
चोरी छिपे क्लिनिक में
बलि चढ़ गई बालिका भ्रूण
और
नशे के सौदागरों ने
बर्बाद कर दिए कुछ नौजवान
और
कोई नई बात नहीं थी
हमेशा की तरह का था
आज

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